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जायद ऋतु में खेती

जायद सीजन में इन फसलों की बुवाई कर किसान अच्छा लाभ उठा सकते हैं

जायद सीजन में इन फसलों की बुवाई कर किसान अच्छा लाभ उठा सकते हैं

रबी की फसलों की कटाई का समय लगभग आ ही गया है। अब इसके बाद किसान भाई अपनी जायद सीजन की फल एवं सब्जियों की बुवाई शुरू करेंगे। 

बतादें, कि गर्मियों में खाए जाने वाले प्रमुख फल और सब्जियां जायद सीजन में ही उगाए जाते हैं। इन फल-सब्जियों की खेती में पानी की खपत बहुत ही कम होती है। परंतु, गर्मियां आते ही बाजार में इनकी मांग काफी बढ़ जाती है। 

उदाहरण के लिए सूरजमुखी, तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी सहित कई फसलों की उपज लेने के लिए जायद सीजन में बुवाई करना लाभदायक माना जाता है। यह मध्य फरवरी से चालू होता है। 

उसके बाद मार्च के समापन तक फसलों की बुवाई कर दी जाती है। फिर गर्मियों में भरपूर उत्पादन हांसिल होता है। मई, जून, जुलाई, जब भारत गर्मी के प्रभाव से त्रस्त हो जाता है। उस समय शायद सीजन की यह फसलें ही पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करती हैं। 

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खीरा मानव शरीर को स्वस्थ भी रखता है। इस वजह से बाजार में इनकी मांग अचानक से बढ़ जाती है, जिससे किसानों को भी अच्छा-खासा मुनाफा प्राप्त होता है। शीघ्र ही जायद सीजन दस्तक देने वाला है। 

ऐसे में किसान खेतों की तैयारी करके प्रमुख चार फसलों की बिजाई कर सकते हैं। ताकि आने वाले समय में उनको बंपर उत्पादन प्राप्त हो सके।

सूरजमुखी 

सामान्य तौर पर सूरजमुखी की खेती रबी, खरीफ और जायद तीनों ही सीजन में आसानी से की जा सकती है। लेकिन जायद सीजन में बुवाई करने के बाद फसल में तेल की मात्रा कुछ ज्यादा बढ़ जाती है। किसान चाहें तो रबी की कटाई के पश्चात सूरजमुखी की बुवाई का कार्य कर सकते हैं।

वर्तमान में देश में खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ाने की कवायद की जा रही है। ऐसे में सूरजमुखी की खेती करना अत्यंत फायदे का सौदा साबित हो सकता है। बाजार में इसकी काफी शानदार कीमत मिलने की संभावना रहती है।

तरबूज 

विभिन्न पोषक तत्वों से युक्त तरबूज तब ही लोगों की थाली तक पहुंचता है, जब फरवरी से मार्च के मध्य इसकी बुवाई की जाती है। यह मैदानी इलाकों का सर्वाधिक मांग में रहने वाला फल है। 

खास बात यह है, की पानी की कमी को पूरा करने वाला यह फल काफी कम सिंचाई एवं बेहद कम खाद-उर्वरक में ही तैयार हो जाता है। 

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तरबूज की मिठास और इसकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से तरबूज की खेती करने की सलाह दी जाती है। यह एक बागवानी फसल है, जिसकी खेती करने के लिए सरकार अनुदान भी उपलब्ध कराती है। इस प्रकार कम खर्चे में भी तरबूज उगाकर शानदार धनराशि कमाई जा सकती है। 

खरबूज

तरबूज की तरह खरबूज भी एक कद्दूवर्गीय फल है। खरबूज आकार में तरबूज से थोड़ा छोटा होता है। परंतु, मिठास के संबंध में अधिकांश फल खरबूज के समक्ष फेल हैं। पानी की कमी एवं डिहाइड्रेशन को दूर करने वाले इस फल की मांग गर्मी आते ही बढ़ जाती है।

खरबूज की खेती से बेहतरीन उत्पादकता प्राप्त करने के लिए मृदा का उपयोग होना अत्यंत आवश्यक है। हल्की रेतीली बलुई मृदा खरबूज की खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है। किसान भाई चाहें तो खरबूज की नर्सरी तैयार करके इसके पौधों की रोपाई खेत में कर सकते हैं।

खेतों में खरबूज के बीज लगाना बेहद ही आसान होता है। अच्छी बात यह है, कि इस फसल की खेती के लिए भी ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। असिंचित इलाकों में भी खरबूज की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। 

खीरा 

गर्मियों में खीरा का बाकी फलों से अधिक उपयोग होता है। खीरा की तासीर काफी ठंडी होने की वजह से सलाद से लेकर जूस के तौर पर इसका सेवन किया जाता है। शरीर में पानी की कमी को पूरा करने वाला यह फल भी अप्रैल-मई से ही मांग में रहता है। 

मचान विधि के द्वारा खीरा की खेती करके शानदार उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार कीट-रोगों के प्रकोप का संकट बना ही रहता है। फसल भूमि को नहीं छूती, इस वजह से सड़न-गलन की संभावना कम रहती है। नतीजतन फसल भी बर्बाद नहीं होती है। 

खीरा की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने की राय दी जाती है। किसान भाई खीरा को भी रेतीली दोमट मृदा में उगाकर शानदार उपज प्राप्त कर सकते हैं। 

खीरा की बीज रहित किस्मों का चलन काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। किसान भाई यदि चाहें तो खीरा की उन्नत किस्मों की खेती करके मोटा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।

ककड़ी 

खीरा की भांति ककड़ी की भी अत्यंत मांग रहती है। इसका भी सलाद के रूप में सेवन किया जाता है। उत्तर भारत में ककड़ी का बेहद चलन है। खीरा और ककड़ी की खेती तकरीबन एक ही ढ़ंग से की जाती है। किसान चाहें तो खेत के आधे भाग में खीरा और आधे भाग में ककड़ी उगाकर भी अतिरिक्त आमदनी उठा सकते हैं।

अगर मचान विधि से खेती कर रहे हैं, तो भूमि पर खरबूज और तरबूज उगा सकते हैं। शायद सीजन का मेन फोकस गर्मियों में फल-सब्जियों की मांग को पूर्ण करना है। 

साथ ही, इन चारों फल-सब्जियों की मांग बाजार में बनी रहती है। इसलिए इनकी खेती भी किसानों के लाभ का सौदा सिद्ध होगी। 

जायद सीजन में इन सब्जियों की खेती करना होगा लाभकारी

जायद सीजन में इन सब्जियों की खेती करना होगा लाभकारी

अब जायद यानी की रबी और खरीफ के मध्य में बोई जाने वाली सब्जियों की बुवाई का बिल्कुल सही समय चल रहा है। इन फसलों की बुवाई फरवरी से लेकर मार्च माह तक की जाती है। 

इन फसलों में विशेष रूप से खीरा, ककड़ी, लौकी, तुरई, भिंडी, अरबी, टिंडा, तरबूज और खरबूजा शामिल हैं। ऐसे किसान भाई जिन्होंने अपने खेतों में पत्ता गोभी, गाजर, फूल गोभी, आलू और ईख बोई हुई थी और अब इन फसलों के खेत खाली हो गए हैं। 

किसान इन खाली खेतों में जायद सब्जियों की बुवाई कर सकते हैं। किसान इन फसलों का फायदा मार्च, अप्रैल, मई में मंडियों मे बेच कर उठा सकते हैं। कृषकों को इससे काफी शानदार आर्थिक लाभ होगा।

सब्जियों की बुवाई की विधि 

सब्जियों की बुवाई सदैव पंक्तियों में करें। बेल वाली किसी भी फसल जैसे लौकी, तुरई, टिंडा एक फसल के पौधे अलग-अलग जगह न लगाकर एक ही क्यारी में बुवाई करें। 

लौकी की बेल लगा रहे हैं तो इनके बीच में अन्य कोई बेल जैसे: करेला, तुरई आदि न लगाऐं। क्योंकि मधु मक्खियां नर व मादा फूलों के बीच परागकण का कार्य करती हैं, तो किसी दूसरी फसल की बेल का परागकण लौकी के मादा फूल पर न छिड़क सकें।

वह केवल लौकी की बेलों का ही परागकण परस्पर अधिक से अधिक छिड़क सकें, जिससे ज्यादा से ज्यादा फल प्राप्त हो सकें।

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बेल वाली सब्जियों में किन बातों का ध्यान रखें 

बेल वाली सब्जियां जैसे कि लौकी, तुरई, टिंडा इत्यादि अधिकतर फल छोटी अवस्था में ही गल कर झड़ने लग जाते हैं। ऐसा इन फलों में पूर्ण परागण और निषेचन नहीं हो पाने के चलते होता है। मधु मक्खियों के भ्रमण को प्रोत्साहन देकर इस समस्या से बचा जा सकता है। 

बेल वाली सब्जियों की बिजाई के लिए 40-45 सेंटीमीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर गहरी लंबी नाली का निर्माण करें। पौधे से पौधे की दूरी लगभग 60 सेंटीमीटर रखते हुए नाली के दोनों किनारों पर सब्जियों के बीज का रोपण करें। 

बेल के फैलने के लिए नाली के किनारों से करीब 2 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाएं। यदि स्थान की कमी हो तो नाली के सामानांतर लंबाई में ही लोहे के तारों की फैंसिग लगाकर बेल का फैलाव कर सकते हैं। 

रस्सी के सहारे बेल का छत या किसी बहुवर्षीय पेड़ पर भी फैलाव कर सकते हैं।

जायद में इन फसलों की खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा

जायद में इन फसलों की खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा

जायद की फसल हम रबी की फसल काटने के उपरांत शुरू कर देते हैं। गेहूं की कटाई अप्रैल माह तक हो जाती है। इसके बाद ही हम अपने खेतों को फिर से तैयार करके उनमें जायद की फसलों को उगने के लिए तैयारियां शुरू कर देते हैं। 

जायद की फसल काफी मोटी कमाई देने वाली होती है। किसान भाई जायद की फसल को बाजार में सीधे-तौर पर बेच सकते हैं। साथ ही, इनको उत्पादित करने में अधिक शारीरिक श्रम की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। 

इनमें बहुत सी फसलें तो बेलदार होती हैं, जिनके फल या सब्जियां हमें मोटा मुनाफा देती हैं। किसानों को रबी, खरीब और जायद की समस्त फसलों के लिए अपने खेतों को समय से तैयार करना होता है। इसमें जो सबसे कम समयावधि में तैयार होने वाली फसल है, वह जायद की फसल होती है। 

जायद में कौन- कौन सी फसलें अच्छा मुनाफा देंगी      

भारत में हम तीन मौसम की फसलों को विशेष महत्त्व देते हैं और इन्हीं फसलों के आधार पर हम वर्षभर होने वाली फसलों को विभाजित करतें हैं। बहुत सारी फसलें तो ऐसी होती हैं, जो वर्षभर में दो बार भी की जाती हैं। 

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जायद की फसलें विशेष रूप से गर्मियों में पसंद की जाने वाली सब्जियां, दाल और फल होते हैं। यह फसलें तैयार होने में तकरीबन 60 से 65 दिन ले लेती हैं। इनकों हम नगदी फसलों के तौर पर भी जानते हैं। 

मूंग की खेती

रबी की फसल की कटाई के बाद हम मूंग की तैयारी करते हैं। मूंग की बुवाई के बाद फसल को तैयार होने में लगभग 60 से 65 दिन लगते हैं। 

बाजार में इसे बेहद आसानी से बेच कर काफी मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है। लागत के मुताबिक, प्रति बीघा में हम डेढ़ से दो क्विंटल तक मूंग पैदा कर सकते हैं।

उड़द की फसल

यह दलहनी फसल गेहूं की कटाई के बाद उगाई जाती है। जायद सीजन की 60 से 65 दिन की इस फसल में किसानों को कम लागत के साथ मोटा मुनाफा मिलता है। नगदी की यह फसल आप घर के लिए या बाजार में बड़ी आसानी से बेच सकते हैं। 

तरबूज की खेती

जायद की यह फसल गर्मियों के दिनों सर्वाधिक पसंद की जाने वाली फसल होती है। फलों में हमारे शरीर की बहुत सारी आवश्यकताओं को पूरा करने वाली यह फसल थोक और फुटकर बाज़ार दोनों ही जगह किसानों को शानदार कमाई करवाती है। बतादें, कि फुटकर बाजार में इसकी कीमत 25 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति पीस तक होती है।

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खरबूजे की खेती

तरबूज की ही भांति खरबूजे की खेती भी गर्मियों में ही की जाती है। बाजार में हमें इसकी शानदार कीमत मिलती है। यह एक ऐसी फसल होती है, जिसके फल की कीमत तो मिलती ही है। 

परंतु, यदि हम इनके बीजों को व्यवसायिक रूप में उपयोग करते हैं तो और भी अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं।

टमाटर की खेती

टमाटर एक ऐसी फसल है जो लगभग हर एक सब्जी के साथ प्रयोग होती है. लोग इसे सलाद के रूप में खाना भी बहुत पसंद करते हैं। वैसे तो टमाटर को हम साल भर खाते हैं। परंतु, इसकी प्रमुख फसल जायद में ही की जाती है। थोक और फुटकर बाजार में इससे अच्छी कमाई की जा सकती है।

जायद की इन फसलों से किसान भाई कम लागत में ही अच्छी आमदनी कर सकते हैं। यह बेहद ही सरलता से उगाई जाने वाली फसलें होती हैं। यह ऐसी फसलें होती हैं, जो अन्य फसलों की अपेक्षा शीघ्र उत्पादित हो जाती हैं। परिणामस्वरूप समय से अगली फसल की तैयारी के लिए मुनाफा प्राप्त कर लेते हैं।